Monday, February 21, 2011

वादा

कहाँ आँसूओं की ये सौगात होगी,
नए लोग होंगे नई बात होगी...
मैं हर हाल में मुस्कराता रहूँगा,
तुम्हारी मुहब्बत अगर साथ होगी ...

चरागों को आँखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी...
परेशान हो तुम भी परेशां हैं हम भी,
चलो महकदे में वहीं बात होगी...

चरागों की लौ से सितारों की जौ तक
मेरे दिल में मुहब्बत बहुत थी,
मगर फिर भी तुझे शिकायत बहुत थी,
मेरा दर्द खोलता भी क्यूँ किसी पर,
मुझे मुस्कुराने की आदत बहुत थी...

मेरी ज़िन्दगी में वो लम्हे भी बहुत आए,
तेरी हर क़दम पर ज़रूरत बहुत थी,
मेरा क्या मुझ में हुनर नहीं था,
पर तुझे रूठ जाने की आदत थी...
तुम्ही में मिलूँगा जहाँ रात होगी
जहाँ वादियों में नए फूल आए
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी,
मुसाफिर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी...

5 comments:

  1. मेरा क्या मुझ में हुनर नहीं था,
    पर तुझे रूठ जाने की आदत थी...

    kya baat hai Srujana...
    ur poems r really very beautiful

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  2. Mujhe v meri wali yaad aane lagi yaar... ;)

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  3. gud 1 dear.......sahi hai carry on...!!

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  4. it is very toucy on eyaar

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  5. how you ppl write this way can you help me out in writing lovely and touchy people

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