Sunday, December 11, 2011

मुझको मुझसे चुराने लगा है तू....

प्यार का मीठा एहसास दिलाने लगा है तू 
अब तो मुझे मुझसे चुराने लगा हैं तू 

वीरान थी ये ज़िन्दगी तेरे आने से पहले 
खुशियों के सपने दिखाने लगा है तू 

हर पल होता है बस तेरा ही एहसास 
इस क़दर मेरी सांसों में समाने लगा है तू 

रास्ते पे चलते चलते अक्सर घूम जाती हूँ 
अब मेरे साथ साया बनकर आने लगा है तू 

तेरी चाहतों का साया है सवार कुछ इस क़दर, 
के हर पल, हर जगह नज़र आने लगा है तू... 

नाम कौन सा भी लूँ अपने लबों पे 
आपका चेहरा नज़र आता है कुछ इस तरह समाने लगा है तू 

जाने कौन सी डोर है तेरी ओर खिचे जाती हूँ 
मुझे अपनी दीवानी बनाने लगा है तू...

तस्वीर में अक्सर महसूस होता है मुझे 
छोड़ के दुनिया बाहों में समाने लगा है तू... 

क्या नाम दूँ इसको 
जो मेरे को हर लम्हा बेचैन करता है... ?