Saturday, January 14, 2012

तेरी यादें



यूँही कल रात को 
एक अजीब सी सोच में गुम जाती थी 

तेरी बातें, तेरी यादें
अब मुझे तन्हा नहीं करते  

यूँही हँसते हुए अक्सर 
ना जाने फिर से क्यूँ अब 

पुरानी कुछ हसीन बातें 
मुझे फिर से रुलाती हैं 

वही देख कर अक्सर 
मेरी आंखे बरसती हैं 

मगर एक बात ये भी हैं 
कि तेरी मासूम सी बातें 

मुझे फिर से हंसाती हैं 
मुझे नहीं रोने देती हैं 

मगर मैं करूँ तो क्या करूँ अब 
जो लिखा है नसीब में...

भगवान ही जानता है 
यही समझ कर मैं कल रात 
एक अजीब सी सोच में गुम जाती थी... 

Tuesday, January 10, 2012

कोई तो उससे कहो


वो साथ था तो ज़माना था हमसफ़र मेरा 
मगर अब कोई नहीं मेरे साथ उससे कहो 

बिखर रही हैं मेरी उमीदें उससे कहो 
कभी मिले तो यही बात उससे कहो 

उसे कहो कि बिन उसके दिन नहीं कटता 
सिसक सिसक के कटती हैं रातें मेरी 

उसे पुकारूँ या खुद ही चले जाऊं उसके पास 
नहीं है अब वो हालात उससे कहो 

अगर वो फिर भी ना लौट आए तो 
हमारी दिल की हालत उससे कहो 

हार जीत उसके नाम कर रही हूँ मैं 
मैं मानती हूँ अपनी हार उससे कहो 

वो जल्द वापस आ जाए 
और बस मेरा हो जाए
अब कोई तो...
उससे कहो...

- सृजना

Friday, January 6, 2012

कोई हसीं ख्वाब ढूंढते हैं...


दर्द भरी ज़िन्दगी का सुराग ढूंढते हैं...
हैं अंधेरों में गुम यहाँ कि चिराग 
ढूंढते हैं...

बनाया था तमाशा ज़िन्दगी का, कुछ इस तरह
कि उन मेहरबानियों को पता
 ढूंढते हैं...
 
कोई है... ? अंधेरों में, मेरे दिल की शमा जला दे
आज हम अपनी बदनसीबी का राज़ ढूंढते हैं...
 
हसरत का आईना ये पत्थर दिल से टूट गया 
शीशों के इन टुकड़ों में अपना आज ढूंढते हैं... 
 
माना कि तेरे लम्हों ने हमें झुलस के रख दिया
दिल को भुलाने के लिए कोई हसीं ख्वाब 
ढूंढते हैं..