Thursday, August 18, 2011

वो...

मेरी आँखों पे मरता था  
मेरी बातों पे हँसता था 
मेरी अदाओं पे मिट जाता था 
मेरे आसुओं से उसे दर्द होता था 
ना जाने कौन था वो 
जो मुझे खोने से डरता था 
मुझसे जब भी मिलता था 
हर बार एक ही बात करता था 

सुनो
मैं भूल जाऊं तो
मैं रूठ जाऊं तो
तुम भूल पाओगी क्या सब कुछ 
यूँही हँसती रहोगी क्या हर पल
यूँही हँसाते रहोगी क्या हर पल 

यही बातें थी उसकी हर पल
यही यादें थी उसकी मेरे पास
यही पता है मुझको
मुझे वो प्यार करता था
मुझे खोने से डरता था....

Wednesday, August 10, 2011

मन किया...

आज फिर दुनिया को भुलाने का मन किया
इस भीड़ से खुद को मिटने का मन 
किया
खो गयी थी ये रूह जाने किस रास्
ते
आज उसे सही राह लेन का मन किया

जिन अपनों को भुलाया था हमने
आज उन्हें याद कर जाने का मन किया
जिनका साथ छोड़ दिया था सफ़र मे

आज फिर उनका साथ निभाने का मन 
किया...

जिनको दिया था दुःख कभी
उन्हें खुश कर जाने का मन किया 
आँखों में दिए थे आँसू जिन्हें
उनके चेहरे पर मुस्कान लेन का 
मन किया

किया था जिन्हें प्यार कभी
आज उन पर मिट जाने का मन किया
हर वक़्त रहा था जिनका सहारा
उन्हें शुक्रिया कह जाने का मन 
किया

पराया समझा जिसने अपनों को
उन्हें फिर अपना बनाने का मन कि
या
बिताये थे जो पल साथ में
उन पलों में खो जाने का मन किया
...

जिंदा हुए वो भूली यादें
आज उनमें बह जाने का मन किया
बहुत सुन्दर दिखी आज दुनिया
आज फिर से जीने का मन किया...!!