Friday, April 15, 2011

तरस रहे हैं



एक उम्मीद की किरण के लिए


एक जीवन की आशाकिरण के लिए


एक रास्ते के अंत के लिए 


एक ख़ुशी की झोंके के लिए 


एक साथी के सहारे के लिए  


एक रिश्ते की शुरुवात के लिए 


एक परीक्षा के अंजाम के लिए  


कब होगा यह तरस का अंत 

पल भर में



खुशियाँ छिन गयीं 


सपने टूट गए 


उम्मीद के सारे द्वार बंद हो गए


जीवन थम सा गया 


सांसें रुक गयी 


साथी बिछड़ गए


प्यार दूर हो गया 


आंसुओं के सैलाब बहने लगे 

Saturday, April 2, 2011

दो ही क्यों ?



दो आँखें चाहिए देखने के लिए


दो हाथ चाहिए ताली बजाने के लिए


दो दिल मिलने चाहिए प्यार करने के लिए


दो लोग चाहिए दोस्ती निभाने के लिए


दो पैर चाहिए चलने के लिए


सभी जगह दो दो चाहिए


पर दिल टूटने का दर्द एक ही को क्यूँ ?

कब तक

इनके आंसुओं का कारण


इनके दिल पर पत्थर का बोझ


इनके परेशानियों का कारण


इनके मजबूरियों  का कारण


इनके दर्द का कारण


इनके दिल की अशांति का कारण


बनते रहेंगे
आखिर कब तक ?

किसी के लिए...





ज़िन्दगी जीना है किसी के लिए
ज़िन्दगी खोना है किसी के लिए
ज़िन्दगी रूठ जाएगी किसी के लिए
ज़िन्दगी रो रही है किसी के लिए
ज़िन्दगी हंसती है किसी के लिए
ज़िन्दगी खुद को बदलने को तैयार है किसी के लिए


पर वो किसी के लिए इस ज़िन्दगी में कब आएगा ?

क्या करूँ ?

दिल ने कहा चुप रहा कर,
दिमाग ने कहा बोल दे...




पलकों ने कहा आँसू मत बहा,
आँखों ने कहा रो दे...




तकदीर ने कहा आराम से बैठ,
किस्मत ने कहा लड़ाई कर ...




ज़िन्दगी ने कहा आगे बढ़,
हकीकत ने कहा लड़ाई कर...




कदमों ने कहा पलट जा,
रास्ते ने कहा आगे बढ़...




प्यार ने कहा भरोसा कर,
दोस्ती ने कहा, "भरोसा है"...




अब किसकी सुनूँ और किसकी बात मानूँ,
 ऐ दोस्त ! कोई तो बताओ के अब मैं क्या करूँ ?

क्या बात है...





किताबों के पन्ने पलट के सोच रहे थे,
यूँही पलट जाए ज़िन्दगी तो क्या बात है...
 


तमन्ना और ख्वाहिशें पूरी हो ख्वाबो में,
हकीकत बन जाए तो क्या बात है...


लोग दोस्त बनाते हैं अपने मतलब के लिए,
बिन मतलब कोई आए तो क्या बात है...




जो शरीफों की शराफत में न हो,
वो एक शराबी कह दे तो क्या बात है...





जो हम न कह सके,
वह वो कह दें तो क्या बात है...




तोड़ करके तो सब जायेंगे दिल मेरा,
कोई उन्हें जोड़ दे और फिर से टूटने ना दे तो क्या बात है...