Saturday, January 14, 2012

तेरी यादें



यूँही कल रात को 
एक अजीब सी सोच में गुम जाती थी 

तेरी बातें, तेरी यादें
अब मुझे तन्हा नहीं करते  

यूँही हँसते हुए अक्सर 
ना जाने फिर से क्यूँ अब 

पुरानी कुछ हसीन बातें 
मुझे फिर से रुलाती हैं 

वही देख कर अक्सर 
मेरी आंखे बरसती हैं 

मगर एक बात ये भी हैं 
कि तेरी मासूम सी बातें 

मुझे फिर से हंसाती हैं 
मुझे नहीं रोने देती हैं 

मगर मैं करूँ तो क्या करूँ अब 
जो लिखा है नसीब में...

भगवान ही जानता है 
यही समझ कर मैं कल रात 
एक अजीब सी सोच में गुम जाती थी... 

3 comments:

  1. यादें एक माध्यम होती है किसी के करीब होने कि एहसास दिलाती है.
    खूबसूरत रचना.

    ReplyDelete
  2. अच्छा लिखा है! बहुत खूब!

    ReplyDelete
  3. aap ke tanhai toh insaaf se bud kaar hai!

    ReplyDelete