Monday, November 14, 2011

वो अज़नबी लड़का...


मुझे लगता है ऐसा कभी - कभी
जैसे वो अनजबी लड़का 
मुझसे प्यार करता था 
मुझे चाहता था 
अक्सर युही छुप- छुप कर …….
देखता था..
जाने क्या सोच कर 
नजरें चुरा लेता था 
कुछ घबरा सी जाती थी मैं 
महसूस मुझे यह होता था कि 
शायद मुझे वो बहुत चाहता था 
मुझे ऐसा एहसास दिलाता था जैसे 
वो मुझे कुछ कहना चाहता था 
मेरे पूछने पर बात को पलट देता था 
कुछ घबरा के सो जाती थी मैं 
चोरी चोरी मेरे को पुकार कर छुप जाता था 
वो अनजबी लड़का शायद प्यार करता था मुझ से 
ऐसा महसूस होता था जाने क्यूँ मुझे ?
दिल भी कितना पागल है 
क्या - क्या सोचता रहता है 
कुछ मासूम से जज़्बात हैं 
कुछ अनदेखे सपने हैं 
मगर वो नहीं जानता शायद 
मेरी ज़िन्दगी तो वो ही था.…………

- सृजना

3 comments:

  1. awesome srujana...

    i really like it...

    its flawless...

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  2. अच्छी भावाव्यक्ति!!

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  3. प्यार कि अपनी एक अलग कशिश होती है. सुंदर कविता.

    आभार.

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