Sunday, July 24, 2011

मेरी कहानी...

कहाँ इतनी सज़ाएँ हो, भला इस जिंदगानी में,
हजारों घर हुए रौशन जब मेरा दिल जला...

सुकून की जिंदगी छोड़ दी एक तेरी खातिर,
मगर फिर भी मेरी चाहत से तुम को है गिला...

एक लफ्ज़ मोहब्बत की हमने भीख मांगी थी,
तरस गए ख़ुशी को हम, मिली है बस यही सजा...

टूटा हुआ ये दिल लेकर मैं किसके पास जाउंगी,
है कौन वो? जो मेरे दिल की है दवा...

तेरी आँखें, तेरी सांसें, तेरा चेहरा, तेरी धड़कन;
मैं कैसे भूल पाऊँगी तेरी हर एक अदा...

किसी को क्या खबर मुझ पर हर पल क्या गुज़रती है,
मेरी सारी कहानी का है तू ही आशना...

जानती हूँ कि मैं तेरे काबिल नहीं, पर ऐसा समझो न तुम मुझको ऐसा,
रहेगी हमेशा साथ तुम्हारे, याद रखना मेरी हर दुआ...

- सृजना

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