Saturday, April 2, 2011

क्या बात है...





किताबों के पन्ने पलट के सोच रहे थे,
यूँही पलट जाए ज़िन्दगी तो क्या बात है...
 


तमन्ना और ख्वाहिशें पूरी हो ख्वाबो में,
हकीकत बन जाए तो क्या बात है...


लोग दोस्त बनाते हैं अपने मतलब के लिए,
बिन मतलब कोई आए तो क्या बात है...




जो शरीफों की शराफत में न हो,
वो एक शराबी कह दे तो क्या बात है...





जो हम न कह सके,
वह वो कह दें तो क्या बात है...




तोड़ करके तो सब जायेंगे दिल मेरा,
कोई उन्हें जोड़ दे और फिर से टूटने ना दे तो क्या बात है...

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