Sunday, September 4, 2011

काश...!


काश! वो देख सकते
टूटे हुए दिल का हाल 
बहते हुए आंसुओं को 
इस अधूरे मौसम को

काश! वो पढ़ सकते
मेरे हांथों की लकीरों को
मेरे ख़्वाबों को
इस दिल की धड़कन को 

काश! वो पढ़ पाते
मेरे लफ़्जों की गहराइयों को 
मेरी आँखों की सच्चाई को 
महफ़िल की तन्हाई को

काश! वो जोड़ सकते 
इस दिल को
इस रिस्ते को
इस वादे को

लेकिन ये सोच कर चुप हो जाते हैं 
काश! वो जान सकते मेरी मोहब्बत को
मेरे प्यार को
मेरे दिल की तड़प को

1 comment:

  1. काश वो सुन सकते धड़कन दिल की

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