कम थे क्या तकलीफें हमें
तू और दिए जा रहा है...
कम थी क्या परेशानिया हमें
तू और दिए जा रहा है...
कम थे क्या दुःख के बादल हमारे साथ
तू और दिए जा रहा है...
कम थे क्या आँसू हमारे
तू हमारे साथ हमारे चाहने वालो को भी दे रहा है
आखिर इस और का अंत कब होगा?
nice poem Srujana ji
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