जाने क्या ढूँढ रही है आज, मेरी नज़र,
हर इक दिशा से जाने क्या पूछ रही है मेरी नज़र ?
जाने कौन है वो, जिसकी इन्हें तलाश है ?
जाने क्या है वो, जो अभी तक नहीं मेरे पास है ?
जो भी हो, वो जरूर कुछ ख़ास है,
तभी तो आज मेरी हर नज़र को, बस उसकी ही तलाश है...
लगता है, जब तक वह नहीं मिलेगा,
तब तक उसे ही ढूँढती रहेगी मेरी नज़र...
हर गई, हर दिशा से बस,
उसी का पता पूछती रहेगी मेरी नज़र...
जाने कब इन नज़रों की ख़त्म होगी ये तलाश,
जाने कब होगा वो इन नज़रों के पास...
खुदा करे कि जल्द ही इनकी ये तलाश ख़त्म हो जाए...
ताकि मैं भी जान सकूं कि क्या और कौन नहीं था, अब तक मेरे पास ?
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