चाँद सा चहरा
फिजा में रंग भरता है तुम्हारा चाँद सा चहरा
मुझे बेचैन करता है तुम्हारा चाँद सा चहरा
उसी एहसास का नशा लिए फिरता हूँ दुनिया में
मेरी खातिर सँवरता है तुम्हारा चाँद सा चहरा
मुझे ये चांदनी रातें बहुत तकलीफ देती हैं
इन आँखों में उभरता
हुआ चाँद सा चहरा.
wow!!!!
ReplyDeletenice one kisse ke upar likha gaya haa bolo tho shaahi
ReplyDeletewow Sruj... Nice 1...
ReplyDeletebeautifully written. it reminded me someone. just WoW!!!!
ReplyDeletekahi tereko pyar tho nahi ho gaya na
ReplyDeletebhaut acha poem tha
wowwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
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