आजा कहीं चाहत के फूल खिला कर ले जा,
जो है मेरे पास उठा कर ले जा !
तू मेरे गम को मेरे पास यूँ ही रहने दे,
अपनी खुशियों के वो लम्हे सज़ा कर ले जा!
रोज गिरता हूँ मगर गिर के संभल जाता हूँ,
तुझ में दम है तो मुझे फिर से गिरा कर ले जा!
कोई सूरज तो नहीं अपना कहर बरपा करूँ,
चाँद हूँ मुझमें शहद अपनी घुला कर ले जा!
मैं तो पत्थर की तरह रोज लुड़ कता हूँ सनम,
जो तू गंगा है तो फिर मुझको बहा कर ले जा!
मुझको अब दिल का भरोसा नहीं कि सी पर आए,
आ कि अब मुझको तू मुझसे चुरा कर ले जा!!
तू मेरे गम को मेरे पास यूँ ही
अपनी खुशियों के वो लम्हे सज़ा
रोज गिरता हूँ मगर गिर के संभल
तुझ में दम है तो मुझे फिर से
कोई सूरज तो नहीं अपना कहर बरपा
चाँद हूँ मुझमें शहद अपनी घुला
मैं तो पत्थर की तरह रोज लुड़
जो तू गंगा है तो फिर मुझको बहा
मुझको अब दिल का भरोसा नहीं कि
आ कि अब मुझको तू मुझसे चुरा कर ले
wowwwwww
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