मुझे लगता है ऐसा कभी - कभीजैसे वो अनजबी लड़कामुझसे प्यार करता थामुझे चाहता थाअक्सर युही छुप- छुप कर …….
देखता था..
जाने क्या सोच कर
नजरें चुरा लेता थाकुछ घबरा सी जाती थी मैंमहसूस मुझे यह होता था किशायद मुझे वो बहुत चाहता थामुझे ऐसा एहसास दिलाता था जैसेवो मुझे कुछ कहना चाहता थामेरे पूछने पर बात को पलट देताथा कुछ घबरा के सो जाती थी मैं
चोरी चोरी मेरे को पुकार कर छुप जाता थावो अनजबी लड़का शायद प्यार करताथा मुझ से ऐसा महसूस होता था जाने क्यूँमुझे ? दिल भी कितना पागल हैक्या - क्या सोचता रहता हैकुछ मासूम से जज़्बात हैंकुछ अनदेखे सपने हैंमगर वो नहीं जानता शायदमेरी ज़िन्दगी तो वो ही था.…………
- सृजना
awesome srujana...
ReplyDeletei really like it...
its flawless...
अच्छी भावाव्यक्ति!!
ReplyDeleteप्यार कि अपनी एक अलग कशिश होती है. सुंदर कविता.
ReplyDeleteआभार.